विवाह

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विवाह में लगातर आ रही अड़चनों का ज्योतिष शास्त्र में कई वजहें बताई जाती हैं और शीध्र विवाह के लिए कुछ उपाय भी बताए जाते हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानिए विवाह में देरी का कारण और शीघ्र विवाह के उपाय

Astrology Tips: हिंदू धर्म में विवाह संस्कार सभी सोलह संस्कारों में से एक होता है. संतान के विवाह योग्य होने पर माता-पिता की चिंताएं बढ़ जाती हैं. अपने परिचितों, दोस्तों, रिश्तेदारों और ज्योतिषों के माध्यम से संतान के लिए सुयोग्य वर या वधू को खोज जारी हो जाती है. लेकिन कई बार देखा जाता है कि संतान के लिए उपयुक्त जोड़ी मिलने में या तो परेशानियां आती हैं या फिर किसी न किसी कारण से विवाह में देरी होने लगती है.

सही उम्र में विवाह करने की हर युवक-युवती की इच्छा होती है, ऐसे में अगर विवाह में देरी होती है तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विवाह में लगातर आ रही अड़चनों का ज्योतिष शास्त्र में कई वजहें बताई जाती हैं और शीध्र विवाह के लिए कुछ उपाय भी बताए जाते हैं. ज्योतिष के अनुसार, विवाह में देरी कुंडली में मौजूद मांगलिक दोष, गुरु और शुक्र का अशुभ भाव में विराजमान होना बताया जाता है. इसके अलावा युवक और कन्या की कुंडली में और कई तरह के दोष होने के कारण विवाह में देरी या बाधाएं आती रहती है. आईए जानते हैं विवाह में में देरी का क्या कारण होता है और शीघ्र विवाह के सरल उपाय कौन-कौन से हैं.

विवाह में देरी या बाधा आने के कारण

ज्योतिष शास्त्र की गणनाओं के अनुसार किसी जातक के विवाह में देरी आने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण होते हैं.

मांगलिक दोष: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में मांगलिक दोष है तो उसके विवाह में बाधाएं आती हैं. जातक के मांगलिक दोष होने पर उसकी शादी एक मांगलिक से ही होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से जातक के मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो जाता है और विवाह के बाद सुखी वैवाहिक जीवन बीतता है.

कुंडली में सप्तमेश का कमजोर होना: कुंडली के सातवें भाव से जातक के विवाह का विचार किया जाता है. अगर किसी जातक का सप्तम भाव किसी पापी ग्रह के कारण कमजोर है अथवा वह अपनी नीच राशि में विराजमान है तो कुंडली का सातवां भाव बलहीन हो जाता है. इस कारण से जातकों के विवाह में परेशानियां और देरी होती है.

कुंडली में गुरु का बलहीन होना: ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति को विवाह और वैवाहिक जीवन में सुख का कारक ग्रह माना गया है. ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह पापी ग्रहों के साथ विराजमान है, अस्त हो या फिर अपनी नीच राशि मकर में हैं तो जातक के विवाह में देरी आती है.

कुंडली में शुक्र ग्रह का नीच का होना: शुक्र ग्रह सुख औ सौंदर्य का कारक ग्रह माना जाता है. पुरुष के लिए शुक्र स्त्री का कारक, वहीं स्त्री की कुंडली में गुरु पति का कारक माना गया है. अगर किसी जातक की कुंडली में शु्क्र कमजोर या फिर नीच भाव में स्थित है तो जातकों के विवाह में लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ता है.

नवांश कुंडली में दोष: अगर किसी जातक की नवांश कुंडली में दोष हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं.

अन्य कारण: कुंडली में पितृदोष का होना. ग्रहों का कुंडली के सप्तम भाव में युति का होना. सातवें घर के स्वामी का नीच ग्रह के साथ आना. लग्न में मंगल, सूर्य, बुध और गुरु का द्वादश भाव में होना. सूर्य का सप्तम भाव में नीच का होना विवाह में देरी का कारण बनते हैं.

शीघ्र विवाह के कुछ उपाय: जातक के मांगलिक दोष होने पर हर मंगलवार को श्री मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करें. पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें. मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा करें और हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाएं और गुड़-चने का भोग लगाएं. गुरुवार के दिन व्रत रखें और केले के पेड़ की पूजा करें

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