विष योग

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कैसे बनता है विष योग?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और चंद्रमा विशेष ग्रह होते हैं. न्याय के देवता शनि ढाई साल में राशि बदलते हैं. वहीं चंद्रमा राशि बदलने में सवा 2 दिन का समय लगाता है. जब कुंडली में शनि और चंद्रमा की युति बनती है, तब व्यक्ति की कुंडली में विष योग का निर्माण होता है. जब शनि और चंद्रमा एक दूसरे के साथ गोचर करते हैं. तो इस अशुभ योग का प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विष योग का प्रभाव इतना ज्यादा हो सकता है, कि व्यक्ति का जीवन तहस-नहस हो जाए.

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विष योग के नुकसान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विष दोष का असर व्यक्ति के मन और मस्तिष्क पर पड़ सकता है. इस दोष के कारण जातक को तनाव, बेचैनी, चिंता आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा विष दोष के कारण व्यक्ति को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. शिक्षा और खेल के क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव रहते हैं. इस दोष के कारण व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी आती है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दोष बन रहा है, तो वह व्यक्ति अपने व्यवहारिक रिश्ते में भी परेशानियों का सामना करता है. प्रेम संबंध और बच्चों के साथ, भाई बहनों के साथ संबंध प्रभावित होते हैं. इतना ही नहीं यही दोष आपके माता के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल

विष योग से बचने के उपाय

ज्योतिष शास्त्र में विष दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ तरीकों के बारे में बताया गया है.
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में विष दोष बन रहा है, तो ऐसे में उस व्यक्ति को प्रतिदिन शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिए, और मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
-इसके अलावा कुंडली में विष दोष का निर्माण हो रहा है. तो सोमवार और शनिवार के दिन प्रातः काल भगवान शिव और शनि महाराज की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के साथ ही शिव चालीसा का जाप करना उत्तम होता है.
-एक अन्य उपाय के रूप में नारियल को अपने सिर के चारों ओर 7 बार घुमाकर पीपल के पेड़ के नीचे फोड़ देना चाहिए, और उसे वहीं पर प्रसाद के रूप में सभी को बांट दें.
-प्रत्येक शनिवार के दिन सुबह और शाम शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाने से भी विष दोष का प्रभाव कम होता है.

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